Rajesh rajesh

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लेखनी प्रतियोगिता -18-Dec-2022 यादों का सफर

मानव यूपी के एक छोटे से रेलवे स्टेशन पर दिल्ली जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहा था। उसी समय लोडी स्पीकर पर एलाउंसमेट होती है कि दिल्ली जाने वाली रेल की पटरी टूट गई है। इसलिए दिल्ली वालों जाने वाली ट्रेन अपने समय पर स्टेशन पर नहीं पहुंच पाएगी।


मानव का दिल्ली में 12वीं की कक्षा का बोर्ड का इम्तिहान था। समय पर ना पहुंचने की चिंता में वह रेलवे स्टेशन से बाहर आकर एक चाय की दुकान पर खड़े होकर चाय पीता है। 

मानव निराश हताश चाय की दुकान पर चाय पी रहा था, उसी समय एक दीपिका नाम की लड़की अपने छोटे भाई के साथ  स्टेशन के पास चाय की दुकान पर तेजी से भाग कर आती है।

मानव को यात्री मानकर दीपिका दिल्ली जाने वाली ट्रेन की जानकारी मानव से लेती है। मानव दीपिका को ट्रेन देर से आने की पूरी जानकारी देता है। दीपिका मानव की बात सुनकर दुखी और निराश होकर अपने छोटे भाई से कहती है कि "मेरा 12वीं कक्षा की बोर्ड का इम्तिहान छूट जाएगा।"मानव दीपिका की यह बात सुनकरचौक जाता है। और कहता हैकि "मेरी और तुम्हारी समस्या तो एक ही है।" 

वह पास में ही एक वैन खड़ी थी वैन का ड्राइवर यात्रियों से चिल्ला चिल्ला कर कह रहा था "दिल्ली जाने वाले इस वैन में आ जाओ"यह सुनकर मानव तुरंत अपना बैग लेकर वेन की तरफ चल पड़ता है।

 दीपिका स्वैच्छिक स्वयं की इच्छा से अपने भाई को लेकर वेन के पास जाती है। दीपिका दिल्ली जाने का किराया पूछ कर भाई के साथ ट्रेन में बैठ जाती है। मानव पहले से ही गाड़ी में बैठ गया था।

वैन का ड्राइवर  एक दो बार और यात्रियों को चिल्ला चिल्ला कर बुलाता है। जब यात्री नहीं आते तो वह वैन लेकर दिल्ली की तरफ चल पड़ता है।

वैन का ड्राइवर मानव से लगातार बात कर रहा था। लेकिन दीपिका चुपचाप खिड़की की तरफ बैठी हुई थी।  ड्राईवर दीपिका के भाई से औरमानव से बीच-बीच में बात कर रहा था। मानव दीपिका के भाई से बातें करते करते दीपिका का भी अच्छा मित्र बन जाता है।

 एक घंटे के सफर के बाद दीपिका के भाई को तेज भूख लगती है। मानव दीपिका के भाई की भूखकी बात सुनकर ड्राइवर से कहता है कि "अगर रास्ते में कोई ढाबा पड़े तो गाड़ी रोक देना।"मानव की यह बात सुनकर दीपिका और उसके भाई को मानव से अपनापन महसूस होता है।

दीपिका का भाई मानव से बहुत घुल मिल जाता है, इतने में ही एक ढाबा आ जाता है। दाबे के आगे एक बर्मा था और ढाबा रंग बिरंगी लाइटों से जगमगा रहा था और बहुत सुंदर दिखाई दे रहा था। ढाबे के चारों तरफ सन्नाटा था।

सामने बरमे के पास एक बंदरिया अपने छोटे से बच्चे को लेकर बैठी हुई थी। ड्राइवर ढाबे के अंदर चारपाई पर  खाना खाने के लिए बैठ जाता है। मानव दीपिका और उसका भाई बरमें से थोड़ा दूर टेबल  के सामने लगी कुर्सियों पर बैठ जाते हैं।

  यह सब जब खाना खाते हैं, तो मानव की नजर उस बंदरिया और उसके बच्चे पर पड़ती है। बंदरिया को देख कर मानव मक्खन से लगी रोटी बंदरिया को देने जाता है। मानव की रोटी को बंदरिया पहले सुगती है फिर हाथ से साफ करती है,  उसके बाद रोटीअपने पास रख लेती है। मानव को बंदरिया की इस हरकत से दीपिका और उसके भाई के सामने शर्मिंदगी सी महसूस होती है। लेकिन गरम रोटी होने की वजह से बंदरिया रोटी ठंडी कर रही थी। लेकिन फिर भी मानव जबरदस्ती गरम रोटी बंदरिया के बच्चे को खिलाने की कोशिश करता है तो बंदरिया दांत निकाल कर मानव को डराती है। मानव डर से दूर भाग जाता है। मानव की डरी हुई हालत देखकर दीपिका की तेज हंसी छूट जाती है।

वैन में बैठने के बाद  जब भी दीपिका मानव की तरफ देखती थी तो उसकी हंसी निकल जाती थी। कुछ ही समय में दीपिका मानव और उसके छोटे भाई की आपस में ऐसी जान पहचान हो जाती है, जैसे वह वर्षों से एक दूसरे को जानते हो। 

कुछ ही किलोमीटर चलने के बाद अंधेरे सुनसान हाईवे पर गाडी खराब हो जाती है। हाईवे पर सन्नाटा और अंधेरा देखकर दीपिका का भाई बहुत डरने लगता है उसको देख कर दीपिका को भी घबराहट होने लगती है।

 मानव दीपिका और उसके भाई को गाडी में बिठा कर उनका हौसला बढ़ाता है। और कहता है "चाहे कुछ भी हो मैं तुम्हें हर हालत में सुरक्षित दिल्ली पहुंचाऊंगा।" यह कहकर वह बीच हाईवे पर खड़ा होकर दिल्ली जाने वाली गाड़ियों को रोकने लगता है।  मानव की यह बात सुनकर दीपिका की नजरों में मानव का सम्मान और बढ़ जाता है।

 ड्राइवर दीपिका से कहता है "यह हाईवे है कोई गाड़ी वाला इस लड़के को उड़ा देगा।" यह बात सुनकर दीपिका जल्दी से मानव के पास जाकर उसे हाईवे से हटने के लिए कहती है।

 उसी समय मानव एक गाड़ी को हाथ देकर रोक लेता है। उस गाड़ी में एक परिवार दिल्ली जा रहा था। मानव उनसे अपनी समस्या बताकर दीपिका और उसके भाई को उस गाड़ी में बिठा देता है। गाड़ी में बैठते ही दीपिका उदास हो जाती है। इस जल्दी बाजी में मानव और दीपिका एक दूसरे को अपने घर का पता देना भी भूल जाते हैं। उस दिन के बाद मानव और दीपिका की मुलाकात दोबारा नहीं होती।

 मानव अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक अच्छी नौकरी पर लग जाता है। जब भी उसकी शादी की चर्चा घर में होती थी, तो वह एक ही जवाब देता था ना बिना किसी के दबाव के स्वयं मानव की इच्छा थी दीपिका को अपना जीवनसाथी बनाना।

 मानव अपनी दादी की ज़िद और प्यार की वजह से मजबूर होकर शादी करने के लिए तैयार हो जाता है।

मानव जब रात को अपनी नई नवेली दुल्हन के पास आता है तो दीपिका और अपने उस यादों के सफर की कहानी अपनी नई नवेली दुल्हन को सुनाता है और उससे कहता है "मैं दीपिका के अलावा किसी दूसरी लड़की को अपने दिल में जगह नहीं दे सकता। हां तुमको पत्नी होने का मान सम्मान पूरा मिलेगा।"और फिरअपना बिस्तर पलंग के पास जमीन पर बिछाकर लेट जाता है। 

मानव के बिस्तर के पास जैसे ही उसकी नई नवेली दुल्हन आती है तो मानव को क्रोध आ जाता है। जब उसकी नई नवेली दुल्हन अपना घुंघट खोलती है तो मानव की खुशी का ठिकाना नहीं रहता।क्योंकि वह नई नवेली दुल्हन दीपिका ही थी। दादी की वजह से मानव के जीवन में खुशियां जाती हैं।

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8 Comments

Gunjan Kamal

21-Dec-2022 08:56 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Nice 👍🏼

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Punam verma

19-Dec-2022 09:43 AM

Very nice

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